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मंगलवार, 9 अक्टूबर 2018

जगदीश चन्द्र बसु का आत्मविश्वास

जगदीश चन्द्र बसु का आत्मविश्वास-
confidence of jagdish chandra basu
पेड़ पौधों में भी जीवन होता है I वे भी हमारी तरह हंसते-रोते हैं I सोते जागते हैं I काम करते हैं I आराम करते हैं और मरते भी हैं I यह खोज भारतीय वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस ने किया I
हमारे ऋषियों ने तो बहुत पहले ही कहा था कि कण-कण में प्राण है I जगदीश चंद्र ने इस आध्यात्मिक सत्य को वैज्ञानिक क्षेत्र में साकार कर दिखाया I इस आविष्कार से दुनिया में तहलका मच गया है , लेकिन यूरोप के वैज्ञानिकों ने इसे झूठ और ढोंग बताया I इसका उपवास किया I
‘लीनियन सोसायटी’ इंग्लैंड की एक वैज्ञानिक संस्था है थी I उसने इस खोज की सच्चाई जानने के लिए एक आयोजन किया I सर जगदीश चंद्र बोस को उसमें बुलाया गया I बोस को अपनी खोज पर पूरा विश्वास था I उन्होंने प्रयोगशाला में इसे सिद्ध करके देख लिया था I अतः वह उस आयोजन में पहुंच गए I
वैज्ञानिकों के बीच उनका कहना था कि आदमी और पौधे दोनों प्राणवान हैं I अतः विष का प्रभाव दोनों पर एक समान होगा I
पोटेशियम साइनाइड (जहर) मंगाया गया I बसु ने उसे पौधे पर डाला I पर यह क्या? पौधे पर कोई असर नहीं हुआ I उपस्थित वैज्ञानिक खोज की असफलता देखकर हंसने लगे I बोस की खिल्ली उड़ाने लगे I जगदीश चंद्र बोस का अपने शोध पर पक्का विश्वास था I उन्होंने कहा- यदि उस जहर का प्रभाव पौधे पर नहीं पड़ा, तो मुझ पर भी नहीं होगा I एकाएक उन्होंने पोटैशियम सायनाइड का घोल स्वयं पी लिया सभागार में शोर मच गया, परंतु उन पर जहर का कोई असर नहीं हुआ I
परीक्षण करने पर वह जहर नकली पाया गया जानबूझकर ही नकली जहर मंगवाया गया था जिससे कि जगदीश चंद्र बोस के आविष्कार को झूठा बताया जा सके I दूसरा जहर मंगाया गया I उसे डालते ही पौधा झुक गया, उसकी पत्तियां मुरझा गई I जगदीश चंद्र बोस जी की प्रशंसा होने लगी I सभागार तालियों से गूंज उठा I सर जगदीश चंद्र बोस को अपनी खोज पर ऐसा आत्मविश्वास था I
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