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गुरुवार, 23 नवंबर 2017

माँ लक्ष्मी और चरवाहा hindi story

माँ लक्ष्मी और चरवाहा-
laxmi ji ki kripa

काफी समय पहले की बात हैI एक गांव में एक चरवाहा रहता थाI पहाड़ के नीचे खुले मैदान में गाय चराया करता थाI धूप, पानी, सर्दी-गर्मी सबकुछ  सहता, उसके दुखों का कोई अंत न थाI बस कभी-कभी अपने अंतर्मन से भगवान को पुकारता था और उसका इस संसार में कोई नहीं थाI एक दिन की बात है, आकाश मार्ग से लक्ष्मीनारायण कहीं जा रहे थेI चरवाहे की करुण पुकार सुनकर लक्ष्मी जी का हृदय दया से पसीज गयाI उन्होंने गरुड़ को रुकवा कर धरती पर आयींI उनके धरती पर आते ही चारों ओर सोने जैसा प्रकाश सा छा गया, पूरा वातावरण महक उठाI चरवाहा बालक की आंखें खुली की खुली रह गयीI लक्ष्मी जी उसके पास गयीं और बोली हे पुत्र लो यह धान के बीज वर्षा ऋतु के आगमन पर इन्हें बो देनाI इसमें धान लगेंगे जब इन धानों का रंग सोने जैसा हो जाए तो उन्हें काट कर घर में सहेजना तुम्हारे सारे दुख दूर हो जाएंगेI चरवाहे ने प्रणाम कियाI वर्षा ऋतु का आगमन हो गयाI खेत में उसने धान बो दिए देखते ही देखते कुछ दिनों में हरियाली लहरा उठी और पौधों पर बालियां आने लगीI चरवाहे ने उन्हें छूकर देखा अभी उनका रंग सोने जैसा नहीं हुआ थाI अभी इनमें वह महक नहीं आई थी, जो लक्ष्मी जी का आगमन में आई थीI वह इंतजार करने लगा हेमंत के अंत में एक दिन एक दिन जब वह सोया हुआ था कि खुशबू चारों ओर फैलने लगीI वह खेतों की तरफ दौड़ता हुआ गयाI धान की बालियां पक कर सोने जैसी हो गई थीI उसके महक से कीट-पतंगे खिंचे चले आ रहे थेI चरवाहा धान काट कर घर ले आयाI
           इन चमत्कारी धानों के बारे में राजा को पता चलाI राजा बैलगाड़ियों में सोना लादकर धान खरीदने आयाI सोना चढ़ाया गया तथा सोना चढ़ता चला गया लेकिन धान खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे थेI राजा चकित हो गयाI उसने अपने सोने की पुतली जैसी सुन्दर राजकुमारी को चरवाहे से ब्याह दी, फिर वहां चरवाहे और राजकुमारी ने लक्ष्मी पूजन कियाI सिंहासन पर लक्ष्मी की मूर्ति के साथ धान भी रखेI सिन्दूर,काजल,रेशम, कलश, आम के पत्ते, कलेवा,नारियल,पंचामृत समस्त पूजन सामग्री के साथ मंडप को सजाया गयाI चौक बनाकर मंगल कलश की स्थापना की गयीI फिर धूप, दीप, नैवेद्य के साथ भोग लगाया गया, सबको प्रसाद दिया गयाI पहले किसान, खेत के रखवाले, बंधु बांधवों पास पड़ोस के लोगों सबको प्रसाद दिया गयाI लक्ष्मी जी प्रकट हुई उन्होंने वरदान दिया कि जब तक धान की प्रतिष्ठा होती रहेगी, खेतों की देखभाल होगी, तब तक देश में सभी सुखी रहेंगेI मैं हर घर में विराजमान रहूंगीI किसी को कोई दुख नही होगा और ना किसी वस्तु का अभाव होगा एवमस्तु!
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