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रविवार, 17 मार्च 2024

स्त्रियों के आठ स्वाभाविक दुर्गुण

स्त्रियों के आठ स्वाभाविक दुर्गुण-

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नमस्कार मित्रों वैसे तो समाज में स्त्री और पुरुष दोनों को समान अधिकार प्राप्त है और आजकल तो स्त्रियां पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर समाज के लिए काम कर कर रही है लेकिन आचार्य चाणक्य ने स्त्रियों के आठ स्वाभाविक दुर्गुण बताएं हैं जिनकी बात हम करेंगे-
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1 अत्यधिक साहस - आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्रियां कभी कभी अत्यधिक साहस दिखाती हैं जिससे उन्हें तथा उनके संबंधियों को पछताना पड़ता है इस प्रकार स्त्रियों में अत्यधिक साहस दिखाने की प्रवृत्ति होती है!

2 झूठ बोलने की प्रवत्ति - आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्रियों में झूठ बोलने की प्रवृत्ति होती है वह बेवजह झूठ बोलती हैं और बाद में पछताती हैं!

3 अत्यधिक चंचल- आचार्य चाणक्य कहते हैं की स्त्रियां अत्यधिक चंचल होती है कई बार अपना काम सिद्ध करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकती!
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4 बिना सोचे समझे निर्णय लेना - आचार्य चाणक्य कहते हैं की स्त्रियां कई बार बिना सोचे समझे कार्य करती है जिससे वह गलत फैसले कर लेती है और बाद में उन्हें पछताना पड़ता है!
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5 काम शक्ति का अधिक होना -आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्रियों में पुरुषों की अपेक्षा 8 गुना काम शक्ति अधिक होती है अतःआचार्य चाणक्य कहते हैं कि पुरुषों को चाहिए कि काम की अधिकता होने पर ही स्त्री के साथ सहवास करें!

6 अपवित्रता-  महान विद्वान आचार्य चाणक्य कहते हैं कि महिलाएं अपवित्र भी रहती हैं!

7 निर्दयता- वैसे तो महिलाओं को ममता की मूर्ति माना जाता है लेकिन आचार्य चाणक्य कहते हैं कि वह निर्दई भी होती है यदि वह अपने हठ में उतारू हो जाएं तो उनमें दया नहीं आ सकती!

8 अत्यधिक बातूनी- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि महिलाएं अत्यधिक बातूनी होती हैं उनको कोई बात नहीं पचती है अतः पुरुषों को कुछ बातें महिलाओं को नहीं बतानी चाहिए दूसरी बात यह है कि जहां पर दो महिलाएं खड़ी हो और वहां पर आवाज ना हो रही हो तो उसे संसार का पहला अजूबा कहा जाता है!
          
         मित्रों यहां पर हमारा उद्देश्य किसी लिंग विशेष तथा जाति विशेष का अनादर करना नहीं है एक महिलाएं ही हैं जिनका प्रेम पाकर मनुष्य धन हो जाता है अतः समाज में महिलाओं का उच्चतम स्थान है जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवता भी निवास करते हैं धन्यवाद!

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