प्रस्तुत कविता में कवि
के जीवन का उल्लास और उत्साह छलक रहा है I कविता द्वारा कवि ने
जीवन की कठिनाइयों से लड़ने और सब कुछ नष्ट हो जाने पर भी फिर से नया निर्माण करने
की प्रेरणा दी है
I
नीड़ का निर्माण फिर
फिर-
नीड़ का निर्माण फिर-फिर
नेह का आवाहन फिर-फिर
बह उठी आंधी की नभ में
छा गया सहसा अंधेरा
धूलि धूसर बादलों ने
भूमि को इस भांति घेरा,
रात-सा दिन हो गया, फिर
रात आई और काली
लग रहा था अब न होगा
इस निशा का फिर सवेरा
रात के उत्पात भय से
भीत जन-जन, भीत कण-कण
किन्तु प्राची से उषा की
मोहिनी मुस्कान फिर-फिर
नीड़ का निर्माण फिर-फिर
नेह का आवाहन फिर-फिर
बह चले झोंके कि कांपे
भीम कायावान भूधर
जड़ समेत उखड पुखड कर,
गिर पड़े टूटे विटप वर,
हाय तिनको से विनिर्मित
घोसलों पर क्या न बीती,
डगमगाए जबकि कंकड़
ईंट पत्थर के महल पर
बोल, आशा के विहंगम
किस जगह पर तू छिपा था,
जो गगन पर चढ़ उठाता
गर्व से निज वक्ष फिर-फिर
नीड़ का निर्माण फिर-फिर
नेह का आवाहन फिर-फिर
Best
poem in hindi-
मेरे प्यारे
भाइयों एवं बहनों ! Future Update के लिए हमारे Facebook
Page को like करना न भूलें I
If you have any
suggestions please type on comment box I will be oblige to you. Please like,
share my videos,post and subscribe to our channel Student Sathi.Thanks for
watching visiting my website Namste!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें