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रविवार, 24 मार्च 2019

नीड़ का निर्माण फिर फिर


प्रस्तुत कविता में कवि के जीवन का उल्लास और उत्साह छलक रहा है I कविता द्वारा कवि ने जीवन की कठिनाइयों से लड़ने और सब कुछ नष्ट हो जाने पर भी फिर से नया निर्माण करने की प्रेरणा दी है I
need ka nirman fir fir
नीड़ का निर्माण फिर फिर-
नीड़ का निर्माण फिर-फिर
नेह का आवाहन फिर-फिर
बह उठी आंधी की नभ में
छा गया सहसा अंधेरा
धूलि धूसर बादलों ने
भूमि को इस भांति घेरा,
रात-सा  दिन हो गया, फिर
रात आई और काली
लग रहा था अब न होगा
इस निशा का फिर सवेरा
रात के उत्पात भय से  
भीत जन-जन, भीत कण-कण  
किन्तु प्राची से उषा की
मोहिनी मुस्कान फिर-फिर
नीड़ का निर्माण फिर-फिर
नेह का आवाहन फिर-फिर
बह चले झोंके कि कांपे
भीम कायावान भूधर
जड़ समेत उखड पुखड कर,
गिर पड़े टूटे विटप वर,
हाय तिनको से विनिर्मित
घोसलों पर क्या न बीती,
डगमगाए जबकि कंकड़
ईंट पत्थर के महल पर
बोल, आशा के विहंगम
किस जगह पर तू छिपा था,
जो गगन पर चढ़ उठाता
गर्व से निज वक्ष फिर-फिर
नीड़ का निर्माण फिर-फिर
नेह का आवाहन फिर-फिर
Best poem in hindi-
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