एक आदमी अपनी भैस को उठा लेता था:-
अभ्यास और निरंतरता की ताकत को लेकर कई प्रेरणादायक कहानियाँ हैं, लेकिन एक कहानी है जो अद्वितीय है और हमें यह सिखाती है कि कैसे निरंतर प्रयास असंभव को भी संभव बना सकते हैं। यह कहानी एक आदमी और उसकी भैंस की है।
एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था। वह साधारण था लेकिन उसकी एक आदत थी जो उसे सबसे अलग बनाती थी। उसकी भैंस का जन्म हुआ तो उसने उस नवजात भैंस को उठाने का निर्णय किया। यह काम बहुत कठिन नहीं था क्योंकि नवजात भैंस बहुत हल्की होती है। किसान ने प्रतिदिन यह अभ्यास जारी रखा। भैंस बढ़ती गई, वजन बढ़ता गया, लेकिन किसान ने अपने अभ्यास में कोई कमी नहीं की।
हर दिन सुबह, किसान अपने घर से निकलता, भैंस के पास जाता और उसे अपने कंधों पर उठा लेता। यह उसकी दैनिक दिनचर्या बन गई थी। गाँव के लोग यह देखकर हैरान होते थे। वे सोचते थे कि भला कोई इंसान इतनी भारी भैंस को कैसे उठा सकता है। कुछ लोग तो उसे देखकर मज़ाक भी बनाते थे, लेकिन किसान ने किसी की परवाह नहीं की। उसने अपने अभ्यास को जारी रखा।
कुछ साल बीत गए और अब वह भैंस पूरी तरह से बड़ी हो गई थी, लेकिन किसान ने उसे उठाने की आदत नहीं छोड़ी थी। लोग अब उसकी ताकत की प्रशंसा करते थे और उससे पूछते थे कि वह यह अद्भुत कार्य कैसे कर लेता है। एक दिन, गाँव के मुखिया ने उससे पूछा, "भाई, तुम यह कैसे कर लेते हो? इतनी बड़ी भैंस को हर रोज़ कैसे उठा लेते हो?"
किसान मुस्कुराया और कहा, "यह कोई जादू नहीं है, न ही कोई विशेष ताकत। जब से यह भैंस पैदा हुई है, तब से मैं इसे उठाता आ रहा हूँ। मैंने एक भी दिन का गैप नहीं किया। हर दिन इसके साथ बिताया है और हर दिन इसे उठाया है। भैंस का वजन धीरे-धीरे बढ़ता गया और मेरी ताकत भी। यह सब निरंतर अभ्यास का परिणाम है।"
मुखिया ने यह सुनकर कहा, "तुम्हारी इस लगन और निरंतरता ने हमें सिखाया है कि अभ्यास और निरंतरता दुनिया का आठवाँ अजूबा हैं। यह हमें दिखाता है कि यदि हम किसी कार्य को निरंतर और दृढ़ता के साथ करें, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।"
इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि चाहे कार्य कितना भी कठिन क्यों न हो, यदि हम नियमित और लगातार अभ्यास करते रहें, तो कोई भी बाधा हमारे मार्ग में नहीं आ सकती। अभ्यास और निरंतरता का मूल्य किसी भी सफलता की कुंजी है।
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